क्रिसमस सीजन मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के लिए बेहद खास साबित हो रहा है। इस दौरान दो बड़ी फिल्मों ने सिनेमाघरों में दस्तक दी—"मार्को" और "बेबी जॉन"। जहां "मार्को" ने 20 दिसंबर को रिलीज़ होकर दर्शकों का ध्यान खींचा, वहीं "बेबी जॉन" 25 दिसंबर को रिलीज़ किया गया। दोनों ही फिल्मों को लेकर दर्शकों और समीक्षकों में काफी उत्सुकता थी, लेकिन ताजे आंकड़ों के अनुसार, "मार्को" ने कमाई के मामले में "बेबी जॉन" को पीछे छोड़ दिया है। यह ट्रेंड बहुत महत्वपूर्ण है और कई पहलुओं को दर्शाता है, जो मलयालम सिनेमा की वर्तमान स्थिति और दर्शकों के बदलते पसंद को बताता है।
बॉक्स ऑफिस: मार्को निकली बेबी जॉन से आगे
मार्को ने अपनी रिलीज़ के पहले सप्ताह में ₹35 करोड़ से अधिक कमाई की। फिल्म की शुरुआत बेहद मजबूत रही, और इसने दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया। सप्ताह के अंत में फिल्म की कमाई में शानदार उछाल देखा गया, वही बात करे बेबी जॉन की तो बेबी जॉन ने पहले सप्ताह में ₹28 करोड़ की कमाई की, जो "मार्को" के मुकाबले कम रही। क्रिसमस की छुट्टियों के बाद भी फिल्म ने जयदा कलेक्शन नहीं कर पायी। "बेबी जॉन" को लेकर कुछ मिश्रित समीक्षाएं भी आईं, जिससे उसकी कमाई प्रभावित हुई।
"मार्को" की शानदार शुरुआत:
"मार्को" को लेकर शुरुआती दिन ही सिनेमाघरों में काफी उत्साह देखने को मिला। फिल्म का निर्देशन एक युवा और क्रिएटिव निर्देशक द्वारा किया गया था, जिन्होंने कहानी को एक अनोखे अंदाज में पेश किया। फिल्म का ट्रेलर और प्रचार अभियान भी बेहद प्रभावशाली था, जिससे दर्शकों का ध्यान आकर्षित हुआ। कहानी, अभिनय, संगीत, और तकनीकी पहलुओं के साथ-साथ फिल्म की यूनिक प्रस्तुतिकरण ने इसे दर्शकों के बीच हिट बना दिया।बेबी जॉन और उसका मुकाबला: वहीं "बेबी जॉन" ने भी क्रिसमस के मौके पर अपनी रिलीज़ की तारीख तय की थी, और फिल्म को लेकर भी काफी उम्मीदें थीं। यह फिल्म एक अच्छे स्टार कास्ट के साथ आई, और दर्शकों को एक इमोशनल और थ्रिलिंग यात्रा का अनुभव देने का दावा करती थी। "बेबी जॉन" को लेकर भी शुरुआती समीक्षाएं सकारात्मक थीं, लेकिन फिल्म को "मार्को" से मुकाबला करना थोड़ा कठिन साबित हुआ। हालांकि, "बेबी जॉन" को मिली सराहना ने भी यह साबित किया कि मलयालम सिनेमा में विविधता और शैली की कोई कमी नहीं है।
बेबी जॉन की कमाई में फर्क क्यों पड़ा?
कहानी और अनोखा विषय: "मार्को" ने अपनी कहानी के जरिए दर्शकों को नया और ताजगी भरा अनुभव दिया। फिल्म का विषय और इसकी प्रस्तुति ने एक अलग ही आकर्षण पैदा किया, जिससे सिनेमाघरों में इसकी मांग बढ़ी। दूसरी ओर, "बेबी जॉन" का विषय हालांकि दिलचस्प था, लेकिन उसमें कुछ ऐसा नया नहीं था, जो दर्शकों को बड़ी संख्या में आकर्षित कर पाता।स्टार का नया चेहरा: "मार्को" में एक उभरता हुआ स्टार कास्ट था, जिसमें एक फ्रेश और युवा चेहरा था, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। इसके विपरीत, "बेबी जॉन" में एक मजबूत स्टार कास्ट था, लेकिन इसका प्रचार अभियान उतना दमदार नहीं था जितना कि "मार्को" का।
सोशल मीडिया: फिल्म की शुरुआत के बाद, "मार्को" को मिली सकारात्मक समीक्षाओं और सोशल मीडिया पर बुरी तरह से चर्चा ने उसकी कमाई में बढ़ोतरी की। दर्शकों ने अपने दोस्तों और परिवार के बीच इसकी सिफारिश की, जिससे फिल्म का विस्तार व्यापक दर्शकों तक हुआ। दूसरी ओर, "बेबी जॉन" के बारे में मिश्रित समीक्षाएं आईं, जो उसकी कलेक्शन में थोड़ा असर डाल सकती थीं।
सीजनल फैक्टर: 25 दिसंबर को "बेबी जॉन" का रिलीज़ होना एक उत्सव माहौल में था, लेकिन 20 दिसंबर को "मार्को" का रिलीज़ होने के बाद, फिल्म ने पहले ही एक मजबूत दर्शक वर्ग बना लिया था। इसके कारण क्रिसमस तक "मार्को" की कमाई में एक लंबी बढ़त देखने को मिली।
आखिरकार क्या साबित होता है? "मार्को" का कमाई में "बेबी जॉन" को पछाड़ना यह साबित करता है कि मलयालम सिनेमा अब केवल एक सीमित दर्शक वर्ग तक ही सीमित नहीं है। दर्शकों का स्वाद और उनकी प्राथमिकताएं बदल चुकी हैं, और अब वे विचारशील फिल्मों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। "मार्को" का सफलता यह दिखाता है कि एक फिल्म का सफल होना केवल स्टार कास्ट या प्रचार पर निर्भर नहीं होता, बल्कि इसकी कहानी, निर्देशन, और तकनीकी गुण भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं।
"मार्को" ने "बेबी जॉन" को कमाई के मामले में पछाड़ते हुए मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में एक नया मोड़ ला दिया है। यह दर्शाता है कि दर्शकों की उम्मीदें अब अधिक विविध, गहरी और अनूठी फिल्मों की ओर बढ़ रही हैं। भविष्य में मलयालम सिनेमा को अपनी फिल्मों की गुणवत्ता और दर्शकों की बदलती प्राथमिकताओं के हिसाब से खुद को और अधिक प्रासंगिक बनाए रखने की जरूरत होगी।
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